आरक्षण पर छिड़ी रार के बीच सियासी दल मुद्दे को धार देने में जुटे, चुनाव में बन रहा बड़ा मुद्दा
आरक्षण पर छिड़ी रार के बीच सियासी दल मुद्दे को धार देने में जुटे, चुनाव में बन रहा बड़ा मुद्दा
आरक्षण को लेकर सत्ता पक्ष और विपक्ष एक दूसरे को जनता का हितैषी बता रहे है। तो वहीं एक दूसरे पर जमकर हमला भी बोल रहे। तमाम सियासी पार्टियां आरक्षण के मुद्दे को धार देने में जुट गई।
खबरीलाल न्यूज डेस्क: तीसरी चरण की वोटिंग से पहले चुनाव प्रचार में भाजपा और कांग्रेस एक दूसरे पर आरोप लगाकर खुद को एससी एसटी पिछड़े का पैरोंकार बताने में जुटे हुए हैं। बीजेपी आरक्षण से किसी तरह से छेड़छाड़ नहीं होने का भरोसा दे रही है तो वहीं विपक्ष इसे जुमला बता रहा है। लोकसभा चुनाव 2024 के दूसरे चरण का मतदान पूरा होने के बाद जैसे ही तीसरे चरण की बारी आई तमाम सियासी पार्टियों ने आरक्षण का मुद्दा उठाना शुरू कर दिया और अपने चुनाव प्रचार में आरक्षण को लेकर जनता के हितैषी बनने में जरा से भी संकोच नहीं कर रही है। आरक्षण का रण शुरू हो चुका है। अब आरक्षण पर जंग परवान ले चुकी है। आपको बता दें कि चुनावी प्रचार में भाजपा कांग्रेस के शीर्ष नेता एक दूसरे पर आरक्षण को खत्म करने का आरोप लगाकर खुद को एससी एसटी पिछड़ों का पैरोंकार बता रहे हैं। आरक्षण भारतीय चुनाव के लिए हमेशा से ही अहम मुद्दा रहा है। इसकी संवेदनशीलता सभी दल बखूबी जानते और समझते हैं क्योंकि सियासी पार्टियों को यह बात बखूबी पता है कि आरक्षण चुनाव के नतीजे की दिशा बदल सकता है।
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मोदी ने आरक्षण पर दी गारंटी –
पीएम मोदी के जिस आरक्षण वाले मुद्दे की चर्चा हो रही है। उसमें पीएम मोदी कहते हुए नजर आ रहे हैं कि एससी, एसटी और ओबीसी का आरक्षण वह किसी भी हालत में अपने जीते जी मुसलमान को नहीं देने देंगे। इतना ही नहीं पीएम मोदी ने कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा कि यह एससी, एसटी ओबीसी का आरक्षण खत्म करने जा रही है। वहीं जानकारों का मानना है कि भाजपा को पता है कि आरक्षण पर विपक्ष का नॉरेटिव चला तो चुनावी चुनौती बढ़ जाएगी। इसलिए हर स्तर पर विपक्ष को काउंटर किया जा रहा है। और आरक्षण से किसी तरह की छेड़छाड़ नहीं होने देने पर भरोसा दिलाया जा रहा है। खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आरक्षण को लेकर एक चिट्ठी लिखी है। जबकि गृहमंत्री अमित शाह ने एक फेक वीडियो के जरिए कांग्रेस पर निशाना साधा था।
विपक्ष भाजपा को बता रही आरक्षण विरोधी –
दूसरी ओर विपक्ष ने जमीन तक यह नेगेटिव पहुंचाने का पूरा प्रयास किया है कि भाजपा 400 सीट इसलिए चाहती है। क्योंकि वह संविधान के साथ छेड़छाड़ कर सके और संविधान को पूरी तरह से समाप्त कर दे । इसलिए 400 नारा उसका सफल हम नहीं होने देंगे। राहुल गांधी चुनावी सभा में भाजपा और संघ को आरक्षण विरोधी बता रहे हैं। जातिगत जनगणना का मुद्दा वे शुरू से उठा रहे हैं। लेकिन अब सीधे आरक्षण बढ़ाने और खत्म करने पर बहस हो रही है। वहीं अखिलेश यादव ने भी बीजेपी पर निशाना साधते हुए कहा कि भाजपा पूरी तरह से जनता पर हावी होने के लिए तैयार है और आरक्षण खत्म कर जनता को सड़क पर लाना चाहती है। आपको बता दे कि पिछले चुनाव में बीजेपी को ओबीसी का समर्थन मिला था। पिछड़ों के वोट का अलग से आंकड़ा नहीं है। लेकिन जानकारों का कहना है कि भाजपा पिछले दो चुनाव में जितने बड़े बहुमत से जीतकर आ रही है। वह बिना ओबीसी के समर्थन के बिलकुल भी संभव नहीं है। ऐसे में ओबीसी को साधने के लिए बीजेपी हर संभव प्रयास कर रही है।
आरक्षण बनेगा सबसे बड़ा मुद्दा –
विधानसभा चुनाव हो या फिर लोकसभा चुनाव बीते कुछ वर्षों में आरक्षण मुद्दे पर सत्ताधारी पार्टी और विपक्षी दल आमने-सामने होते रहे हैं। साल 2015 में बिहार चुनाव में इसी मुद्दे पर बड़ा बदलाव देखने को मिला था। तब आरक्षण पर संघ प्रमुख के बयान को मुद्दा बनाया गया था। अब बड़ा सवाल लिया है कि क्या आरक्षण 2024 के चुनाव में सबसे बड़ा मुद्दा बनने जा रहा है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि जनसंख्या के लिहाज से सबसे ज्यादा दबदबा अन्य पिछड़ा वर्ग का है। जिनकी संख्या करीब 50% है। इसमें एससी एसटी को जोड़ दें तो यह आंकड़ा 75 फ़ीसदी तक पहुंच जाता है। ऐसे में आरक्षण की बात होते ही सभी दल चौकन्ना हो जाते हैं और अपने अपने हिसाब से जनता का हितैषी बताने लगते हैं। इस बार का चुनाव आरक्षण पर आकर खड़ा हो चुका है और आने वाले चरणों में इसका नतीजा भी देखने को मिल सकता है।
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