मणिपुर हिंसा पर राहुल गांधी ने पीएम मोदी से राज्य दौरे की अपील की। मणिपुर में हिंसा के कारण, अफस्पा विवाद और शांति की संभावनाएं जानें।
मणिपुर हिंसा पर राहुल गांधी ने पीएम मोदी से राज्य दौरे की अपील की। मणिपुर में हिंसा के कारण, अफस्पा विवाद और शांति की संभावनाएं जानें।
मणिपुर में जारी हिंसा और खून-खराबे ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया है। इस विषय पर लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने शनिवार को गहरी चिंता व्यक्त की और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से अपील करते हुए उन्हें मणिपुर का दौरा करने का आग्रह किया। राहुल गांधी का यह बयान उस समय आया है जब मणिपुर में स्थिति लगातार बिगड़ती जा रही है और वहां के नागरिक शांति और सुरक्षा की उम्मीद लगाए बैठे हैं।
मणिपुर हिंसा: घटनाओं की पृष्ठभूमि –
मणिपुर में हिंसा का सिलसिला मई 2023 में तब शुरू हुआ जब राज्य के दो प्रमुख समुदायों, मैतेई और कुकी, के बीच जातीय संघर्ष ने भयावह रूप ले लिया।
मैतेई समुदाय हिंदू धर्म से संबंधित है और राज्य की बड़ी आबादी में इनकी हिस्सेदारी लगभग 53% है।
कुकी और नागा जनजातियां मुख्यतः ईसाई धर्म का पालन करती हैं और पहाड़ी क्षेत्रों में रहती हैं।
विवाद तब बढ़ा जब मैतेई समुदाय ने अनुसूचित जनजाति (ST) का दर्जा मांगा। इसके बाद कुकी समुदाय ने इस मांग का विरोध किया, क्योंकि उन्हें डर था कि इससे उनके अधिकार और जमीनें खतरे में पड़ जाएंगी।
यह विवाद धीरे-धीरे सांप्रदायिक रंग ले चुका है, और अब तक सैकड़ों लोगों की जान जा चुकी है, हजारों बेघर हो चुके हैं, और संपत्तियों को भारी नुकसान पहुंचा है।
राहुल गांधी का बयान और प्रधानमंत्री से अपील –
राहुल गांधी ने मणिपुर की स्थिति पर गहरी चिंता जताते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से राज्य का दौरा करने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि मणिपुर की जनता आज अपने प्रधानमंत्री से उम्मीद कर रही है कि वह राज्य की जमीनी स्थिति को समझने के लिए वहां जाएं। राहुल गांधी ने यह भी कहा कि मणिपुर में शांति बहाल करना केंद्र सरकार की प्राथमिक जिम्मेदारी है।
राहुल गांधी का बयान?
> “मणिपुर में खून-खराबा और हिंसा से देश को शर्मिंदगी उठानी पड़ रही है। यह सरकार की जिम्मेदारी है कि वह इस पर तुरंत ध्यान दे और शांति की प्रक्रिया शुरू करे। मैं प्रधानमंत्री से अपील करता हूं कि वे मणिपुर का दौरा करें और जनता को विश्वास दिलाएं कि देश उनके साथ खड़ा है।”
विपक्ष का आरोप: सरकार की असफलता –
विपक्ष का आरोप है कि केंद्र और राज्य सरकार मणिपुर की हिंसा को नियंत्रित करने में असफल रही है।
1. AFSPA (आर्म्ड फोर्सेज स्पेशल पावर एक्ट):
मणिपुर में AFSPA लागू है, लेकिन इसके बावजूद हिंसा पर काबू पाने में सुरक्षा बल नाकाम रहे हैं।
2. संवेदनहीनता का आरोप:
विपक्ष ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर आरोप लगाया है कि उन्होंने इस मुद्दे पर अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया है।
3. सांप्रदायिक तनाव बढ़ने का आरोप:
विपक्ष का यह भी कहना है कि सरकार की नीतियां राज्य में सांप्रदायिक विभाजन को और गहरा कर रही हैं।
प्रधानमंत्री की चुप्पी पर सवाल ?
राहुल गांधी के साथ-साथ अन्य विपक्षी नेताओं ने भी प्रधानमंत्री मोदी की चुप्पी पर सवाल उठाए हैं। उनका कहना है कि जब देश के एक राज्य में इतनी भयावह स्थिति है, तो प्रधानमंत्री को इस पर तुरंत संज्ञान लेना चाहिए।
केंद्र सरकार का पक्ष –
केंद्र सरकार का कहना है कि मणिपुर की स्थिति पर कड़ी नजर रखी जा रही है।
गृह मंत्री अमित शाह ने हाल ही में मणिपुर का दौरा किया और विभिन्न समुदायों के नेताओं से बातचीत की।
केंद्र ने शांति बहाल करने के लिए अर्धसैनिक बलों की तैनाती बढ़ा दी है और स्थिति को नियंत्रित करने के लिए हर संभव प्रयास कर रही है।
हालांकि, विपक्ष का कहना है कि ये प्रयास नाकाफी हैं और प्रधानमंत्री को खुद मणिपुर का दौरा कर जनता को भरोसा दिलाना चाहिए।
मणिपुर हिंसा का क्या है समाधान?
मणिपुर की हिंसा को रोकने के लिए विशेषज्ञ और राजनीतिक विश्लेषक निम्नलिखित सुझाव दे रहे हैं:
1. संवाद का मार्ग:
सरकार को मैतेई और कुकी समुदायों के बीच खुला संवाद शुरू करना चाहिए।
शांति प्रक्रिया में स्थानीय नेताओं और नागरिक समाज संगठनों को शामिल करना होगा।
2. AFSPA पर पुनर्विचार:
AFSPA जैसे कानून को लेकर स्थानीय लोगों की चिंताओं को ध्यान में रखते हुए समीक्षा करनी चाहिए।
3. विश्वास बहाली:
प्रधानमंत्री का मणिपुर दौरा एक बड़ा संदेश दे सकता है और जनता में विश्वास बहाल कर सकता है।
4. लंबे समय का समाधान:
जातीय विवाद और भूमि के मुद्दों पर स्थायी समाधान के लिए कानून और नीतियों को मजबूत करना होगा।
निष्कर्ष: राहुल गांधी की अपील का महत्व –
राहुल गांधी की यह अपील महत्वपूर्ण है क्योंकि यह मणिपुर की जनता की आवाज को राष्ट्रीय स्तर पर उठाती है। मणिपुर में हिंसा का अंत तभी संभव है जब केंद्र और राज्य सरकार मिलकर ठोस कदम उठाएं। प्रधानमंत्री मोदी का राज्य का दौरा न केवल एक राजनीतिक कदम होगा, बल्कि यह मणिपुर की जनता को यह विश्वास दिलाएगा कि सरकार उनकी समस्याओं को लेकर गंभीर है।
मणिपुर में शांति बहाल करना सिर्फ एक राज्य का नहीं, बल्कि पूरे देश का मुद्दा है। इस समय आवश्यकता है कि सभी राजनीतिक दल आपसी मतभेद भूलकर एकजुट होकर इस संकट का समाधान निकालें।
Manipur violence news today Q & A -:
1. मणिपुर में हिंसा क्यों हो रही है?
मणिपुर में हिंसा का मुख्य कारण जातीय संघर्ष है, जो मैतेई और कुकी समुदायों के बीच चल रहा है।
मैतेई समुदाय राज्य की आबादी का बड़ा हिस्सा है और वे अनुसूचित जनजाति (ST) का दर्जा चाहते हैं।
कुकी समुदाय इस मांग का विरोध कर रहा है क्योंकि उन्हें लगता है कि इससे उनके अधिकार और भूमि खतरे में पड़ जाएगी।
इसके अलावा, मणिपुर में भूमि विवाद, अवैध प्रवासन, और सशस्त्र बल विशेष अधिकार अधिनियम (AFSPA) के खिलाफ विरोध भी हिंसा को बढ़ावा दे रहा है।
2. मणिपुर में कौन से धर्म के लोग रहते हैं?
मणिपुर में विभिन्न धर्मों के लोग रहते हैं:
हिंदू: मुख्य रूप से मैतेई समुदाय हिंदू धर्म को मानता है।
ईसाई: कुकी और नागा समुदाय के लोग मुख्य रूप से ईसाई हैं।
इस्लाम: कुछ मुस्लिम समुदाय भी यहां रहते हैं।
सैनामाही और अन्य आदिवासी धर्म: कुछ स्थानीय जनजातियां अपने पारंपरिक धर्मों को मानती हैं।
3. मणिपुर में हिंसा क्यों हुई?
मणिपुर में हिंसा के मुख्य कारण:
1. जातीय विवाद: मैतेई और कुकी समुदायों के बीच भूमि और आरक्षण को लेकर संघर्ष।
2. ST का दर्जा: मैतेई समुदाय को ST का दर्जा देने की मांग ने कुकी समुदाय को नाराज किया।
3. AFSPA का विरोध: AFSPA को हटाने की मांग पर विवाद।
4. अवैध प्रवासन: म्यांमार से आए प्रवासियों को लेकर तनाव।
5. राजनीतिक अस्थिरता: राज्य की सरकार पर पक्षपात के आरोप।
4. मणिपुर में किसका राज चलता है?
मणिपुर में फिलहाल भाजपा (भारतीय जनता पार्टी) की सरकार है।
मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह हैं।
राज्य में केंद्र सरकार का प्रभाव भी है, खासकर AFSPA जैसे कानूनों के कारण।
राज्य की प्रशासनिक व्यवस्था को लेकर कई बार विवाद होता है कि सरकार जातीय और सांस्कृतिक विवादों को हल करने में असफल रही है।