“संभल जामा मस्जिद: हरिहर मंदिर का दावा या राजनीतिक साजिश? नईम की मौत और सच्चाई पर उठते सवाल”
संभल जामा मस्जिद या हरिहर मंदिर: विवाद और सच्चाई
उत्तर प्रदेश के संभल जिले में स्थित जामा मस्जिद एक बार फिर विवादों के केंद्र में है। हाल ही में यहां एक बड़ा बवाल तब शुरू हुआ, जब पुलिस की गोली से नईम नामक युवक की मौत हो गई। इस घटना ने स्थानीय समुदाय, खासकर मुस्लिम समाज को आक्रोशित कर दिया। विवाद केवल नईम की मौत तक सीमित नहीं है, बल्कि जामा मस्जिद के ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व को लेकर भी गहराता जा रहा है।
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क्या है जामा मस्जिद का इतिहास?
संभल की जामा मस्जिद मुगलकालीन स्थापत्य कला का एक अद्भुत उदाहरण मानी जाती है। इसे ऐतिहासिक रूप से अकबर या उसके समकालीन शासकों द्वारा बनवाया गया बताया जाता है। यह मस्जिद संभल के मध्य में स्थित है और धार्मिक एवं सांस्कृतिक दृष्टि से मुस्लिम समुदाय के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।
हालांकि, हाल के वर्षों में कुछ संगठनों द्वारा यह दावा किया गया है कि वर्तमान जामा मस्जिद असल में एक प्राचीन हिंदू मंदिर, जिसे हरिहर मंदिर कहा जाता था, के ऊपर बनाई गई है। इस दावे के अनुसार, मस्जिद के निर्माण से पहले वहां भगवान विष्णु और शिव की पूजा होती थी।
ऐसे दावों की वजह से मस्जिद को लेकर कई बार विवाद खड़े हुए हैं। हालांकि, ऐतिहासिक साक्ष्यों को लेकर कोई ठोस निष्कर्ष नहीं निकला है। पुरातत्व विभाग द्वारा भी इस मसले पर स्पष्ट राय नहीं दी गई है।
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बवाल की शुरुआत कैसे हुई?
संभल जामा मस्जिद के पास शुक्रवार को एक धार्मिक आयोजन के दौरान विवाद भड़क गया। कुछ रिपोर्ट्स के मुताबिक, मस्जिद के बाहर एक संगठन ने हरिहर मंदिर के दावे को लेकर प्रदर्शन किया। इसके बाद माहौल में तनाव बढ़ गया, और पत्थरबाजी की घटनाएं शुरू हो गईं।
पुलिस ने स्थिति को नियंत्रित करने के लिए बल प्रयोग किया। इसी दौरान नईम नामक युवक को गोली लग गई, जिससे उसकी मौके पर ही मौत हो गई।
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नईम की मौत: क्या वह दोषी था?
नईम की मौत पर कई सवाल उठ रहे हैं। परिवार और स्थानीय लोगों का कहना है कि नईम पत्थरबाजी में शामिल नहीं था। वह अपनी दुकान पर जा रहा था, जब गोली उसे लगी।
– नईम के परिवार का बयान:
नईम के परिवार का कहना है कि वह न तो प्रदर्शन में शामिल था और न ही किसी हिंसा में। पुलिस द्वारा की गई गोलीबारी में वह अनजाने में शिकार बना।
– पुलिस का पक्ष:
पुलिस का दावा है कि पत्थरबाजों को नियंत्रित करने के लिए पहले लाठीचार्ज और आंसू गैस के गोले दागे गए। लेकिन जब स्थिति हाथ से बाहर जाने लगी, तो गोलियां चलाई गईं। पुलिस यह भी कहती है कि नईम कहां खड़ा था, यह जांच का विषय है।
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हरिहर मंदिर का दावा: सच्चाई या सियासत?
मस्जिद को लेकर हरिहर मंदिर का दावा कई संगठनों द्वारा किया गया है। इस दावे के मुताबिक, मुगलकाल के दौरान एक प्राचीन मंदिर को तोड़कर मस्जिद बनाई गई थी।
– दावे के पक्ष में तर्क:
इन संगठनों का कहना है कि मस्जिद की संरचना में हिंदू मंदिरों की झलक मिलती है। कुछ नक्काशी और शिलालेखों को लेकर भी सवाल उठाए गए हैं।
– दावे का खंडन:
मुस्लिम समुदाय और कई इतिहासकारों का कहना है कि ये दावे आधारहीन हैं। उनके अनुसार, मस्जिद का निर्माण एक खाली जमीन पर किया गया था और इसे तोड़कर कोई मंदिर नहीं हटाया गया।
– कानूनी स्थिति:
मस्जिद के दावे पर कोर्ट में पहले भी याचिकाएं दायर की गई हैं, लेकिन अभी तक इस पर कोई निर्णायक फैसला नहीं हुआ है।
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बवाल की जड़: साजिश या संयोग?
इस विवाद को लेकर सवाल यह भी उठता है कि आखिर यह मुद्दा बार-बार क्यों उभरता है?
1. धार्मिक ध्रुवीकरण का प्रयास:
इस तरह के मुद्दे अक्सर राजनीतिक लाभ के लिए उछाले जाते हैं। चुनावों से पहले ऐसे विवाद समुदायों के बीच तनाव बढ़ाने का काम करते हैं।
2. स्थानीय स्तर पर असंतोष:
संभल क्षेत्र में लंबे समय से विकास कार्यों की कमी और बेरोजगारी जैसी समस्याएं हैं। ऐसे में स्थानीय असंतोष को धर्म आधारित विवादों की ओर मोड़ दिया जाता है।
3. असामाजिक तत्वों की भूमिका:
पत्थरबाजी और बवाल में असामाजिक तत्वों की भूमिका से इनकार नहीं किया जा सकता।
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नईम की मौत पर न्याय की मांग
नईम की मौत ने कई सवाल खड़े किए हैं।
– जांच की मांग:
नईम के परिवार और मुस्लिम संगठनों ने निष्पक्ष जांच की मांग की है। उनका कहना है कि नईम निर्दोष था और उसे गोली जानबूझकर मारी गई।
– प्रशासन पर दबाव:
प्रशासन पर निष्पक्ष कार्रवाई का दबाव है। नईम की मौत से पैदा हुए गुस्से को शांत करने के लिए दोषियों को सजा देना जरूरी है।
समाज को चाहिए शांति और समाधान –
संभल जामा मस्जिद या हरिहर मंदिर का विवाद समाज को बांटने का काम कर रहा है। यह जरूरी है कि इस मुद्दे को शांतिपूर्ण तरीके से सुलझाया जाए।
– ऐतिहासिक साक्ष्यों पर निर्भरता:
इतिहास की सच्चाई को केवल वैज्ञानिक और पुरातात्विक साक्ष्यों के आधार पर तय किया जाना चाहिए।
– धर्मनिरपेक्षता का पालन:
सभी समुदायों को आपसी सहयोग और समझदारी से काम लेना चाहिए। धर्म को राजनीति का औजार न बनने दें।
– नईम को न्याय:
नईम की मौत के लिए जिम्मेदार लोगों को सजा मिलनी चाहिए।
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निष्कर्ष
संभल का विवाद केवल एक मस्जिद या मंदिर का नहीं है, बल्कि यह समाज में धर्म और राजनीति के आपसी संबंधों को भी उजागर करता है। यह जरूरी है कि प्रशासन, न्यायालय, और जनता मिलकर शांति और समाधान की दिशा में काम करें। नईम जैसे निर्दोष लोगों की मौतें समाज के लिए एक चेतावनी हैं कि हिंसा और विवाद का रास्ता कभी सही नहीं होता।